एसएसआरएफ की १५वीं वर्षगांठ – गत वर्ष की समीक्षा

एसएसआरएफ की १५वीं वर्षगांठ - गत वर्ष की समीक्षा

१४ जनवरी २०२१ को स्पिरिच्युअल साइंस एंड रिसर्च फाऊंडेशन (एसएसआरएफ) के जालस्थल को १५ वर्ष पूर्णहुए । पिछले वर्ष के आरंभ में, किसी को भी यह पता नहीं था कि आगे का वर्ष कैसा रहेगा । कोरोना महामारीके मध्य वर्तमान वर्ष २०२१ का विश्‍व, गत वर्ष के विश्‍व से पूर्णतया भिन्न है । यह बताते हुए हमें कृतज्ञताअनुभव हो रही है कि इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी इस आवश्यकता के समय मानवजाति की सहायता होइस हेतु एसएसआरएफ के जालस्थल पर उपलब्ध ईश्‍वरीय ज्ञान का पूरे विश्‍व में निरंतर प्रसार होता रहे, इसकेलिए एसएसआरएफ के साधक इस प्रतिकूल परिस्थिति में भी इसे सुनिश्‍चित करने हेतु आगे आए ।

एसएसआरएफ जालस्थल का अवलोकन

एसएसआरएफ का जालस्थल इस संगठन का आधार है । इसके कारण अनेक जिज्ञासुओं ने साधना प्रारंभ की हैतथा अध्यात्म में रुचि रखने वालों के लिए यह निरंतर एक प्रकाशस्तंभ के रूप में कार्य करता है । वर्ष २००६ मेंइस जालस्थल का शुभारंभ हुआ तथा इसके आरंभ होने के उपरांत कुछ वर्षों तक इसके पाठकों की संख्या न्यूनरही । किंतु, परात्पर गुरु डॉ आठवलेजी का यह संकल्प कि यह जालस्थल संपूर्ण विश्‍व में अध्यात्म के ज्ञान काप्रसार करेगा, उसके कारण ही इसकी पाठक संख्या तीव्र गति से बढने लगी तथा अध्यात्म का विषय पूरे विश्‍वमें अग्रणी हो गया है । आज इस जालस्थल के ५८ लाख से भी अधिक पाठक हैं । इस पर अध्यात्म से संबंधित७०० से भी अधिक लेख उपलब्ध हैं जिन्हें स्पेनिश, जर्मन, फ्रेंच एवं रूसी भाषाआें सहित २३ भाषाओं मेंभाषांतरित किया गया है । इसमें अध्यात्म संबसधी लेखों की विस्तृत श्रृंखला है, जिसमें मृत्योपरांत जीवन, अध्यात्म क्या है ? एवं जीवन का उद्देश्य कुछ लोकप्रिय लेख हैं । केवल ईश्‍वर की कृपा से ही यह जालस्थललोगों को साधना से जोड रहा है । पिछले वर्ष एसएसआरएफ द्वारा किए गए कुछ और उल्लेखनीय कार्य इसप्रकार हैं ।

१. लाइव स्ट्रीम एवं ऑनलाइन आध्यात्मिक कार्यशालाओं का आयोजन

इस बीते वर्ष में कदाचित सबसे बडी सफलता उन ऑनलाइन लाइव स्ट्रीम सत्रों तथा पाठ्यक्रमों से प्राप्त हुईजिन्हें एसएसआरएफ ने आयोजित किया था । महामारी के कारण आध्यात्मिक दौरा असंभव होने पर भी, एसएसआरएफ ने अपने अध्यात्मप्रसार की पद्धति को पूर्णरूप से ऑनलाइन से जोड दिया । 25 मार्च 2020 से, 518 लाइव स्ट्रीम सत्रों एवं पाठ्यक्रमों का आयोजन अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, इन्डोनेशियाई, इटालियन, रूसी, स्पेनिश एवं सर्बो-क्रोशियाई में किया गया । उनमें पूर्व जन्म एवं पुनर्जन्म, काला जादू, कुदृष्टि एवं श्राप कैसे दूरकरेंं तथा कुण्डलिनी जागरण एवं चक्र जागृति के साथ अनेक सम्बंधित विषयों का वर्णन किया गया है ।

एसएसआरएफ ने कुछ दिन पूर्व ही अपने प्रथम अनुदान संचयन कार्यक्रम ‘‘ए लुक एट द एक्सपेंसिव मिशनऑफ एसएसआरएफ’’  का आयोजन किया, जिसने पहली बार पूरे विश्‍व से अनेक निष्ठावान अनुयायियों कोएसएसआरएफ को अर्पण देने हेतु प्रेरित किया ।

सितंबर से नवंबर २०२० की अवधि में ही, इन सत्रों को यूट्यूब एवं फेसबुक पर ८५,००० से भी अधिक लोगों नेदेखा ।

२. एसएसआरएफ की कारवां यात्रा (केरवेन टूर) जहां अध्यात्म में रुचि रखने वाले लोगों को हमारे संत (सद्गुरुसिरियाक वालेजी) एवं साधकों से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ

इस वर्ष का आगे का कार्य एसएसआरएफ के एक साधक द्वारा मुक्तहस्त से अर्पण में कारवां (caravan) अर्पणमें देने के कारण हुआ। मई २०२० से सद्गुरु सिरियाक वालेजी अध्यात्म में जिज्ञासा रखनेवालों से मिलनेएसएसआरएफ के साधकों के साथ कारवां में यूरोप का दौरा कर रहे हैं । यात्रा प्रतिबंधित थी, तब भी जहांसंभव था, उनमें से ६ देशों के ३९ प्रमुख नगरों का भ्रमण कर पाए । इस प्रतिकूल परिस्थिति में भी, यात्रा केदौरान अध्यात्म में रुचि रखने वाले १२५ लोगों से वे मिले तथा उनका मार्गदर्शन किया तथा कुछ लोगों ने अनेकबार उनसे भेंट की । सद्गुरुद्गुरु सिरियाक वालेजी से भेंट करने पर उन सभी को सकारात्मक अनुभूतियां आईं तथासबने अत्यधिक प्रीति अनुभव होना, समझ निर्माण होना, सकारात्मकता, साधना में गति अनुभव होना, अपनेप्रश्‍नों का उत्तर प्राप्त होना एवं समस्या का समाधान होने जैसे सकारात्मक प्रतिसाद साझा किए । उनमें से ३०लोगों ने साधना आरंभ की तथा लगभग १५ लोग हमारे ऑनलाइन सत्संगों में सम्मिलित होने लगे । ३ लोगों नेसाधना पुनः प्रारंभ की तथा ३७ साधकों की साधना में वृद्धि हुई ।

३. संकट के इस काल में मानवजाति की सहायता हेतु एसएसआरएफ के लेख एवं वीडियो का निर्माण कार्य

इस बीते वर्ष, एसएसआरएफ ने विविध विषयों पर अभूतपूर्व लेख प्रकाशित किए । हमने ३० से अधिक लेख(जिनमें नवीन लेख तथा पिछले लेखों का अद्यतन समाहित है) प्रकाशित किए । उनमें से, कोरोना विषाणु परआधारित लेख वर्तमान समय में मानवजाति के लिए विशेष महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुआ। इस लेख में कोरोना विषाणुपर एसएसआरएफ के आध्यात्मिक शोध, उसका वास्तविक मूल कारण एवं उससे स्वयं की रक्षा कैसे करें, आदिकी जानकारी दी गई है । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के मागदर्शन में एक उच्च स्तरीय संत – सद्गुरु मुकुलगाडगीळजी को कोरोना विषाणु से स्वयं की आध्यत्मिक रूप से रक्षा होने हेतु एक विशिष्ट नामजप के विषय मेंईश्‍वरीय ज्ञान प्राप्त हुआ।

इस नामजप को एक अति उच्च स्तरीय संत की वाणी में रिकॉर्ड किया गया है तथा इसे एसएसआरएफ केजालस्थल पर लेख के साथ नि:शुल्क प्रकाशित किया गया । इसके साथ ही कोरोना विषाणु के विषय मेंजागरूकता फैलाने हेतु एक वीडियो बनाकर उसे एसएसआरएफ के यूट्यूब चैनल पर रखा गया ।

इस अनिश्‍चित काल एवं तृतीय विश्‍वयुद्ध की संभावना को देखते हुए, एसएसआरएफ ने आपदा के समयसामान्य लोग स्वयं की रक्षा कैसे कर सकते हैं, इस विषय पर लेखों की श्रृंखला प्रकाशित करना आरंभ किया है। तृतीय विश्‍वयुद्ध के काल में बिजली और जल संकट का सामना करने के लिए आवश्यक तैयारी पर आधारितलेख को अच्छा प्रतिसाद मिला ।

एसएसआरएफ ने पितृपक्ष एवं अध्यात्म शास्त्र के अनुसार दिवंगत पूर्वजों एवं वशजों के लाभ के लिए की जानेवाली विधियों के विषय में अंतराष्ट्रीय जागरूकता फैलाने का प्रयास आरंभ किया है । यह आध्यात्मिक शोधविविध प्रभामंडल एवं सूक्ष्म ऊर्जा स्कैनरों का उपयोग कर किया गया । ऐसा इसलिए क्योंकि अधिकांश लोगअपने जीवन में कभी न कभी पितृदोष के कष्टों से पीडित होते ही हैं ।

४. दावोस, स्विट्जरलैंड में- जल, भविष्य का नया सोना  पर आयोजित सम्मलेन

९ अगस्त २०२० को हमने स्विट्जरलैंड के दावोस में आयोजित विश्‍व कांग्रेस  में २०२० में विश्‍व के जल कीआध्यात्मिक स्थिति  आपके जल से कौन से स्पंदन प्रक्षेपित होते हैं ? इस विषय पर एक पेपर प्रस्तुत किया ।इसका लेखन  परात्पर गुरु डॉ आठवलेजी ने किया था और सहलेखन किया था सद्गुरु सिरियाक वालेजी एवं श्रीशॉन क्लार्क ने । उसे सद्गुरु सिरियाक वालेजी ने प्रस्तुत किया तथा जिसका प्रतिसाद बहुत सकारात्मक प्राप्तहुआ ।

लगभग ५० लोगों ने सम्मलेन में भाग लिया था । अनेक लोगों ने जानकारी पर सहमति जताई तथा सम्मेलन मेंबताए गए अन्य विषयों की जानकारी की तुलना में यह विषय नया एवं आध्यात्मिक स्तर पर होने पर भी वे उसेसमझ पाए ।

उनमें से एक प्रतिनिधि – प्रोफेसर राल्फ ओटरपॉहल (जर्मनी के हैम्बर्ग विश्‍वविद्यालय में अपशिष्ट जल प्रबंधनऔर जल संरक्षण संस्थान के निदेशक, जिन्होंने एक व्याख्यान भी प्रस्तुत किया) ने बताया कि जब उन्होंनेप्रस्तुतीकरण देखा, तो उन्होंने अनुभव किया कि उनके भीतर कुछ जागृत हुआहै । उन्हें हमारा आध्यात्मिक शोधकार्य बहुत रोचक लगा । साधना कैसे करें इस विषय में जानने हेतु अगले मास वे हमसे हैम्बर्ग में मिलना भीचाहते थे । प्रोफेसर राल्फ ओटरपॉहल तथा अन्य लोगों ने भारत के गोवा में ५-दिवसीय महर्षि अध्यात्मविश्‍वविद्यालय की कार्यशाला में भाग लेने हेतु अपनी इच्छा व्यक्त की ।

सुश्री लाडिना प्रिया किंड्सकी, जो संगोष्ठी (सम्मेलन) की आयोजक थीं, बहुत प्रसन्न थीं कि हम व्याख्यानप्रस्तुत कर सके और उन्होंने अगली संगोष्ठी में हमें दैवी बालक पर बोलने के लिए भी आमंत्रित किया, जो अगलेवर्ष आयोजित की जाएगी । उन्हें हमारे प्रस्तुतीकरण पर अनेक सकारात्मक प्रतिपुष्टियां (फीडबैक) प्राप्त हुईं ।उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि उनकी संगोष्ठी में जब अगले वर्ष एसएसआरएफ और महर्षि अध्यात्मविश्‍वविद्यालय भाग लेंगे, तब हम स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया एवं साधना पर आध्यात्मिक कार्यशालाआयोजित कर सकते हैं ।

५. आध्यात्मिक नेतृत्व व्याख्यान और प्रमुख व्यावसायिक नेताओं द्वारा अध्यात्म में रुचि दर्शाना

स्विट्जरलैंड के श्री हंस मार्टिन हेअरलिंग (जो अब हमारे साधक हैं) एक उद्योगपति हैं, जो अनेक कंपनियों केबोर्ड सदस्य हैं, जिसम से एक स्थाई अर्थव्यवस्था की दिशा में काम करने वाली 70 कंपनियों का एक पैनल हैऔर वे स्थिरता और सामाजिक उत्तरदायित्व के संबंध में विभिन्न विश्‍वविद्यालयों के संपर्क में हैं । उनकीआध्यात्मिक जिज्ञासा के रूप में, वे भारत के गोवा स्थित अध्यात्म शोध केंद्र एवं आश्रम में दो बार ओं चुके हैं ।श्री हंस मार्टिन हेअरलिंग ने प्रमुख व्यावसायिक नेताओं के मध्य एसएसआरएफ के दैवी ज्ञान के प्रसार हेतु नएअवसर नियोजित करने में सहायता की है । यह सब तब आरंभ हुआजब हंस ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के साथपीस ऑन स्नो नामक एक कार्यक्रम आयोजित किया । इस कार्यक्रम को अच्छा प्रतिसाद प्राप्त हुआ, तथा इसनेआध्यात्मिक नेतृत्त्व पर एक लाइवस्ट्रीम आयोजित करने का अवसर खोला, जो अब एसएसआरएफ के यूट्यूबचैनल पर उपलब्ध है ।

हमारे साधक श्री हंस मार्टिन हेअरलिंग के निष्ठावान प्रयासों के कारण, एसएसआरएफ को आध्यात्मिक नेतृत्त्व केविषय पर उन प्रतिनिधियों से बात करने के लिए आमंत्रित किया गया जो वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम में सहभागीहुए थे । यह कार्यक्रम श्री. शॉन क्लार्क ने संचालित किया था तथा इसे अच्छा प्रतिसाद प्राप्त हुआक्योंकि इसमेंबताया गया कि किस प्रकार विश्‍व को अध्यात्मिक सिद्धांत पर आधारित धर्म के अनुसार नेतृत्त्व के विषय मेंविचार करना चाहिए । व्याख्यान का लेख परात्पर गुरु डॉ आठवलेजी के किए गए मार्गदर्शन पर आधारित था ।श्री. शॉन ने परात्पर गुरु डॉ आठवलेजी के वास्तविक जीवन के उदाहरण प्रस्तुत किए कि कैसे परात्पर गुरु डॉ.आठवलेजी के आध्यात्मिक नेतृत्त्व से न केवल लोगों का जीवन परिवर्तित हुआ, अपितु निर्जीव वस्तुओं एवंवातावरण के आध्यात्मिक स्पंदनों में भी सकारात्मक परिवर्तन हुए, जो वर्तमान समय की आवश्यकता है ।

यह कार्यक्रम एसएसआरएफ के आध्यात्मिक शोध में उन अनेक लोगों में रुचि निर्माण करने के लिए एकउत्प्रेरक था, जिन्होंने साधना करना प्रारंभ किया था । आगे दिए कुछ प्रमुख व्यवसायिक नेताओं ने साधना करनाएवं नियमित सत्संगों में सम्मिलित होना आरंभ किया । इनमें से कुछ सहभागी अपने समुदायों में प्रमुख व्यक्तित्त्वहैं ।

इन सत्संगों से एसएसआरएफ के लिए चार नए अवसर ध्यान में आए ।

एसएसआरएफ के साधक एवं सद्गुरु सिरियाक वालेजी एक जर्मन रेडियो शो में नियमित रूप से बोल रहे हैं जिसेओकी टॉक कहा जाता है तथा जिसके सहस्रों श्रोता हैं ।

श्री. हंस के एक मित्र युवाओं को भविष्य का नेता बनने के लिए एक विशेष अंतरराष्ट्रीय सत्संग आयोजित करनेमें सहायता कर रहे हैं ।

संयुक्त राष्ट्र के साथ पंजीकृत एक प्रतिष्ठित गैर सरकारी संगठन में एक विशेष प्रस्तुतीकरण दिया गया ।

अल्ट्रू संस्थान (Altru Institute), एक ऐसा समाज जिसमें अंतरराष्ट्रीय सदस्यता है तथा जिसमें समाज केविभिन्न प्रमुख सदस्य सम्मिलित हैं, उसमें एक प्रस्तुतीकरण दिया गया

  • सत्संगों में भाग लेने वाले कुछ व्यापारिक नेता इस प्रकार हैं
  • श्री रोइस्टन फ्लूड, भौतिकशास्त्र में पीएचडी और काउंसिलिंग में एमए
  • सुश्री मरियम आजम, विश्‍व सूचना स्थानांतरण की बोर्ड सदस्या और क्लोस्टर इनोवेशन पार्टनर्स कीसंस्थापक, एक प्रबुद्ध मंडल । वह २५ वर्षों से संयुक्त राष्ट्र के लिए इवेंट्स एंड कॉन्फ्रेंस मैनेजर (कार्यक्रमएवं संगोष्ठी प्रबंधक) थीं और एक फारसी अभिजात वर्ग की पृष्ठभूमि से आती हैं ।
  • श्री क्रिश्‍चियन हौसेल्मान्न, उद्यमी और प्रर्वतक, ई-बाइक के निर्माता
  • डॉ अशोक कुमार एम पटेल, एमडी., पल्मोनोलॉजिस्ट, मेयो क्लिनिक
  • श्री मार्सेलो गार्सिया स्विट्जरलैंड के एक पुराने ब्राजीलियाई निवासी हैं, जिनके पास प्रौद्योगिकी, मीडियाऔर दूरसंचार (टीएमटी) उद्योग में बीस से अधिक वर्षों का विशिष्ट व्यवसाय है । वे युवाओं के लिएविजडम एक्सीलरेशन गैर-लाभकारी संगठन के स्वामी (मालिक) और संस्थापक हैं ।
  • श्रीमती सुजैन हम्बेल-हेयर्लिंग (हंस की बहन) । वह एक अंतरराष्ट्रीय विपणन और व्यवसाय विकासपेशेवर हैं ।

६. न्यू इवेंट्स वेबसाइट

ये सभी कार्यक्रम वर्तमान में न्यू इवेंट्स वेबसाइट पर प्रदर्शित किए जा रहे हैं जिसे इसी वर्ष विकसित किया गयाहै । एसएसआरएफ के कार्यक्रमों के विस्तार के कारण, उन्हें आयोजित करने हेतु एक उपयुक्त मंच विकसितकरना आवश्यक था । न्यू इवेंट्स वेबसाइट जिसे विकसित किया गया, वह उपयोगकर्ता को एक सहज अनुभवप्रदान करती है तथा एसएसआरएफ के कार्यक्रमों को ढूंढना तथा अपनी रुचि के अनुसार पंजीकृत करना सरलबनाती है ।

७. सोशल मीडिया में एसएसआरएफ की उपस्थिति

एसएसआरएफ के २९ सोशल मीडिया चैनल हैं :

फेसबुक:  अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच, जर्मन, इंडोनेशियाई, तमिल, हिन्दी, इतालवी, रूसी, सबियाई और क्रोएशिया(११ पृष्ठ/भाषाएं)

YouTube : अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच, जर्मन, इंडोनेशियाई, हिन्दी, क्रोएशियाई, रूसी, चीनी, हंगेरियन (१० चैनल / भाषाएं)

Pinterest : अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच, जर्मन और इंडोनेशियाई (५ पृष्ठ/भाषाएं)

Twitter : अंग्रेजी

Instagram : अंग्रेजी

VKontakte : रूसी

एसएसआरएफ के सभी सोशल मीडिया चैनलों पर अनुयायियों की कुल संख्या ३६७,००० से अधिक है ।एसएसआरएफ के साधक प्रत्येक मास फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर २०० से अधिक टिप्पणियों(कमेंट्स)के उत्तर देते हैं । इस वर्ष के नवीन कार्य तथा गैर-अंग्रेजी भाषाओ में एसएसआरएफ पिंट्रेस्ट (Pinterest)आरंभकरना तथा इतालवी और तमिल एसएसआरएफ के फेसबुक पृष्ठ आरंभ करना सम्मिलित है । एसएसआरएफजालस्थल के सोशल मीडिया चैनल का प्रति मास २० – ३०,००० पाठक अवलोकन करते हैं ।

८. आध्यात्मिक सहायता एवं मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु एसएसआरएफ की ऑनलाइन बैठकें

साधकों को उनकी साधना में सहायता करने हेतु एसएसआरएफ अंग्रेजी, स्पेनिश, जर्मन, रूसी, इंडोनेशियाई, फ्रेंच, इतालवी और सेर्बो-क्रोएशियाई में ८ भिन्न-भिन्न स्तरों के ६४ ऑनलाइन सत्संग प्रति सप्ताह आयोजितकरती है । ३५ देशों से ३०० से भी अधिक साधक इन सत्संगों में नियमित रूप से सम्मिलित होते हैं औरएसएसआरएफ के ५० से अधिक साधक इन सत्संगों का संचालन करते हैं । साधकों में भाव वृद्धि होने मेंसहायता हेतु साप्ताहिक भाव सत्संगों का भी आयोजन किया जाता है । भाव सत्संग से आशय उन आध्यात्मिकसभाओं से है, जो भाव जागृत करने में सहायता करती हैं तथा जहां भाव बढाने हेतु साधक प्रयास करना सीखते हैं।

इन आध्यात्मिक बैठकों ने साधकों को नियमित रूप से उनकी बाधाएं हल करने, आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदानकरने, उनकी शंकाओं का समाधान करने और उन्हें प्रेरित करने के माध्यम से उनकी आध्यात्मिक उन्नति होने हेतुप्रत्येक स्तर पर बहुत सहायता की है ।

९. एसएसआरएफ शॉप पर रिकॉर्ड संख्या में आर्डर प्राप्त होना

कोरोनो विषाणु महामारी के कारण अंतर्राष्ट्रीय डाक सेवाएं बंद होने से पिछले वर्ष मार्च से नवंबर तकएसएसआरएफ की शॉप बंद थी । जब वह सेवा पुनः आरंभ हुई, तो शॉप खुल गई । हमने तुरंत रिकॉर्ड संख्यामें आर्डर देखे । केवल नवंबर और दिसंबर २०२० में ही, हमारे पास भिन्न-भिन्न १९ देशों से अध्यात्म पर लगभग२७५ ग्रंथ और २५०० से अधिक उदबत्ती के पैकेट की बिक्री के साथ १०० से भी अधिक ऑर्डर थे । जब शॉप बंदथी, तब लोगों ने प्रायः हमें ग्रंथ और एसएसआरएफ उदबत्ती की उपलब्धता के विषय में पूछा । इससे पताचलता है कि लोग परात्पर गुरु डॉ आठवलेजी के मार्गदर्शन में विकसित किए गए आध्यात्मिक उत्पादों कोकितना महत्व देते हैं ।

मेक्सिको के एक युवा व्यक्ति ने ६२ ग्रंथों का आर्डर दिया और बताया कि वह उन ग्रंथों को इसलिए चाहता हैक्योंकि प्रतिकूल समय (तृतीय विश्‍व युद्ध) में वे उसके लिए उपयोगी सिद्ध होंगी । उसने कहा कि वह उन्हेंसंरक्षित करना और भविष्य में दूसरों के साथ साझा करना चाहता है । उसने कहा कि इस बडे आर्डर को देने केलिए वह कुछ समय से धन बचा रहा था ।

१०. जालस्थल पर लाइवचैट सुविधा आरंभ

इस वर्ष जालस्थल पर लाइवचैट की सुविधा के रूप में एक और नवीन कार्य आरंभ हुआहै । मार्च २०२० मेंएसएसआरएफ जालस्थल पर लाइवचैट आरंभ होने के उपरांत, हमने ८ भाषाओं (अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच, जर्मन, सर्बियाई, क्रोएशियाई और रूसी) में १३,००० से अधिक प्रश्‍नों के उत्तर दिए हैं । हमारे १५ साधक प्रतिदिननिष्ठापूर्वक पाठकों के साथ सीधी बातचीत तथा ईमेल के माध्यम से उनके प्रश्‍नों का उत्तर देकर करते हैं । हमनेयह भी अनुभव किया है कि हमें लाइवचैट पर लिखने वाले अनेक पाठक हमारे साप्ताहिक ऑनलाइन सत्संगों मेंभाग लेने लगे हैं, हमारे लाइवस्ट्रीम कार्यक्रमों में भाग लेते हैं तथा अनेक पाठक एसएसआरएफ के जालस्थल परबताई गई स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया के अनुसार स्वसूचना देना भी आरंभ किया है । कुछ विभिन्न समस्याएं दूरकरने हेतु आध्यात्मिक उपचार भी करते हैं ।

११. SSRF जालस्थल को पूर्ण रूप से परिवर्तित करने के लिए एक दल का गठन

इस वर्ष एसएसआरएफ के साधकों को तकनीकी दल के साथ एक अनुभूति हुई । एसएसआरएफ के जालस्थलको नवीनतम उपलब्ध वेब तकनीकों के लिए पूर्ण रूप से नवीन रूप देने और तकनीकी रूप से उसका अद्यतनकरने की आवश्यकता थी, किंतु इसे संभव बनाने के लिए ऐसा कोई कुशल साधक उपलब्ध नहीं था ।

तब श्री. अनूप, जो एक तकनीकी कंपनी के मुख्य तकनीकी अधिकारी है, ने २०१९ में महर्षि अध्यात्मविश्‍वविद्यालय द्वारा आयोजित एक ५-दिवसीय कार्यशाला में भाग लिया । वह साधना आरंभ करने औरSSRF के जालस्थल जो मानवता को आध्यात्मिक उन्नति करने में सहायता कर रहा है, के कार्य में योगदान करनेके लिए प्रेरित हुआ। वह पूर्ण रूप से एक भिन्न कौशल लेकर आया जिससे एसएसआरएफ जालस्थल को एकनए शक्तिशाली मंच पर लाकर आरंभ करना संभव हुआ। हमारे साधक  श्री. कृष्णा गोलमुडी ने जालस्थल केतकनीकी प्रवास की नींव रखने हेतु  श्री. अनूप के साथ सत्सेवा प्रारंभ की ।

तब, स्वयं उनको देखकर, दूसरे साधकों ने सत्सेवा के लिए पूछना आरंभ किया और जब उनसे उनकी कुशलताके संबंध में पूछा गया, तब उन्होंने वही कुशलता बतायी, उस समय तकनीकी सत्सेवा के लिए जिसकीआवश्यकता थी । वर्तमान में, ५ सक्रिय विकसित साधक हैं और ४ प्रशिक्षण में हैं तथा ५ साधक दूसरीतकनीकी सत्सेवा कर रहे हैं । ऐसा लगा, जिसकी भी आवश्यकता थी, उसे ईश्‍वर ने सही समय पर उपलब्धकरवाया । नया जालस्थल उपयोगकर्ता को बेहतर अनुभव देगा तथा उस पर उपलब्ध दैवी ज्ञान औरआध्यात्मिक शोध से लोगों को अधिक लाभ प्राप्त होने में सहायता मिलेगी ।

१२. व्हाट्सएप्प के माध्यम से एसएसआरएफ के लेखों का प्रसार आरंभ

एसएसआरएफ ने मुख्य रूप से भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में व्हाट्सएप गुटों में कार्यक्रम के प्रसार हेतु हिन्दीऔर अंग्रेजी में दैनिक प्रेरक व्हाट्सएप पोस्ट भेजना आरंभ किया । इसका बहुत अच्छा प्रतिसाद प्राप्त हुआऔरएसएसआरएफ जालस्थल ने इन पोस्ट्स के माध्यम से प्रति मास १५००० अतिरिक्त पाठकों को आते देखा ।

निष्कर्ष बिंदु

पिछला वर्ष हाल के इतिहास में सबसे चुनौतीपूर्ण रहा है । ऐसा होते हुए भी केवल परात्पर गुरु डॉ आठवलेजीकी कृपा से इतनी सारी सकारात्मक घटनाएं हुईं । अध्यात्म के खरे जिज्ञासुओं तक पहुंचने के उनके दैवी कार्यके एक भाग के रूप में सेवा का यह अवसर मिलने के लिए हम उनके श्री चरणों में कृतज्ञता व्यक्त करते हैं ।

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